बज्म-ए-कासमी के कैलेंडर पर अब ईद बाद निर्णय शहरकाजी के प्रतिनिधि की मध्यस्थता के बाद थमा विवाद।
बज्म-ए-कासमी के कैलेंडर पर अब ईद बाद निर्णय शहरकाजी के प्रतिनिधि की मध्यस्थता के बाद थमा विवाद।
●पुराने कैलेेंडर का समर्थन करने वाले मुफ्ती ने भी बदला पाला।
●बज्म-ए-कासमी ने रमजान से पहले कैलेंडर जारी कर सहरी व इफ्तार की नया समय घोषित कर दिया था।
●दोनों पक्ष पुराने व नए कैलेंडर को देकर अपने-अपने तर्क दे रहे थे।
●शहरकाजी मौलाना कमर शाहजंहापुरी के प्रतिनिधि सैय्यद मोहम्मद अतहर ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करते हुए विवाद को शांत कराया।
●इस दौरान विचार-विमर्श कर वर्ष भर का नया कैलेंडर तैयार किया जाएगा।
●अवाम यह सवाल कर रही है कि अगर यह कैलेंडर सही है तो फिर पिछले वर्षों मे सहरी व इफ्तार गलत किया जा रहा था।
●वहीं शहरकाजी मुफ्ती यूनुस रजा का कहना है कि सहरी व इफ्तार के समय में एहतियात जरूरी है।
कानपुर:बज्म-ए-कासमी बरकाती के कैलेंडर को लेकर शुरू हुआ विवाद फिलहाल थम गया है। अब ईद के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। बज्म-ए-कासमी ने रमजान से पहले कैलेंडर जारी कर सहरी व इफ्तार की नया समय घोषित कर दिया था। शहरकाजियों ने इसे नामंजूर करते हुए रोजेदारों से भी इस पर पालन ना करने की अपील की थी।इस बीच शहरकाजी मुफ्ती यूनुस रजा औवेसी व बज्म-ए-कासमी के पदाधिकारियों को विवाद भी गहराता गया। दोनों पक्ष पुराने व नए कैलेंडर को देकर अपने-अपन तर्क दे रहे थे। इस बीच अवाम असमंजस में थी कि आखिर किस कैलेंडर का पालन करे।
सैय्यद मोहम्मद अतहर ने दोनों पक्षों के बीच
मध्यस्थता करते हुए विवाद को शांत कराया।
शहरकाजी मौलाना कमर शाहजंहापुरी के प्रतिनिधि सैय्यद मोहम्मद अतहर ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करते हुए विवाद को शांत कराया। यह तय किया गया कि ईद के बाद इस मसले पर बैठक आयोजित कर कोई निर्णय लिया जाएगा। बज्म-ए-कासमी बरकाती का कैलेंडर जारी होने के बाद कुछ मुफ्ती भी उसके पक्ष में चले गए। इन्ही मुफ़्ती ने इससे पहले वर्ष 2001 में मुफ्ती रफीकुल इस्लाम की ओर से जारी किए गए कैलेंडर का समर्थन किया था।
खिलाफत का रहा दबाव।
उनको मरहरा शरीफ से खिलाफत मिली है। यह माना जा रहा है कि इसी वजह से वे नए कैलेंडर का विरोध नहीं कर सके। उधर बज्म-ए-कासमी ने भी कैलेंडर को लेकर बढ़ते विवाद के बाद अपने कदम पीछे खींच लिए। बज्म के पदाधिकारियों ने यह तय किया है कि ईद के बाद कैंलेंडर बनाने वाले विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों व उलमा का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
सभी से विचार-विमर्श कर वर्ष भर का नया कैलेंडर तैयार किया जाएगा।
इस दौरान विचार-विमर्श कर वर्ष भर का नया कैलेंडर तैयार किया जाएगा। इस कैलेंडर में सहरी व इफ्तार के साथ नमाज का भी सही समय होगा। गौरतलब है कि नए कैलेंडर में सहरी का समय चार मिनट बाद का दिया गया है। अवाम यह सवाल कर रही है कि अगर यह कैलेंडर सही है तो फिर पिछले वर्षों मे सहरी व इफ्तार गलत किया जा रहा था। ऐसे रोजा भी सही नहीं हुआ। वहीं शहरकाजी मुफ्ती यूनुस रजा का कहना है कि सहरी व इफ्तार के समय में एहतियात जरूरी है।
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